Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

35 सालों से बेघर लोगों को बचा रहा है और उनकी सेवा कर रहा है हरियाणा का यह ट्रक ड्राइवर

35 सालों से बेघर लोगों को बचा रहा है और उनकी सेवा कर रहा है हरियाणा का यह ट्रक ड्राइवर

Wednesday October 16, 2019 , 6 min Read

कहा जाता है: "सभी जीवों में सबसे बड़ा आनंद वह आनंद है जो दूसरों को देने से मिलता है।" और देवदास गोस्वामी इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं। गोस्वामी हरियाणा के सोनीपत जिले के एक छोटे से शहर गन्नौर से आते हैं, जो नई दिल्ली से 62 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। जहां एक तरफ यहां के अधिकांश निवासी जीवन यापन करने और जीवन के सुखों हासिल करने में व्यस्त हैं, वहीं 60 वर्षीय गोस्वामी अपने जीवन को गरीबों और बेघरों के उत्थान के लिए समर्पित कर रहे हैं।


k

लोगों को खाना देते हुए देवदास गोस्वामी

यह सब 1978 में शुरू हुआ था जब गोस्वामी ने ट्रक ड्राइर के रूप में काम करना शुरू किया। राजमार्गों और कई राज्यों में ड्राइव करते हुए उन्होंने सड़कों के किनारे भूखे और असहाय लोगों को देखा जिसने उन्हें काफी विचलित कर दिया। हालांकि, गोस्वामी ने उनसे नजरें फेरने के बजाय उन्हें खाना खिलाकर इस समस्या को रोकने के बारे में सोचा। वे उस समय हर महीने 500 रुपये कमाते थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने किसी तरह अपने ट्रक पर मिट्टी के तेल का स्टोव लगाया। उन्होंने खाना बनाने और अपनी यात्रा के दौरान भूखों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक सभी सामान खरीदा।


इस बात को 35 से ज्यादा साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वह निराश्रितों की सेवा में लगे हुए हैं। गरीबों को खिलाने के अलावा, गोस्वामी, अपनी पत्नी तारा के साथ, अब गरीबों और उन असहाय लोगों के लिए दो घर चला रही हैं जिन्हें उनके परिवार ने भूखा सड़क पर छोड़ दिया। एक घर द्वारका, दिल्ली में और दूसरा गन्नौर में है। वे वहां रहने वाले सभी 130 लोगों को भोजन, कपड़े, आश्रय, और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।


गोस्वामी के मानवीय कार्यों ने सैकड़ों लोगों को एक नया जीवन दिया है। 60-वर्षीय गोस्वामी का मानना है कि जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरित करने से उन्हें ऐसे लोगों की सेवा करने का मौका मिलता है जो उनसे कम विशेषाधिकार वाले हैं, और इससे उन्हें आत्म-संतुष्टि की भावना मिलती है।





k

वे कहते हैं,

“मैं खुद एक समय में बेघर और गरीबी से त्रस्त था। भूखे रहने की अनुभूति ने मेरे अंदर दर्द और चिड़चिड़ाहट पैदा कर दी थी। यह निश्चित रूप से अब तक का सबसे कठिन दौर था। मैं नहीं चाहता था कि कोई भी उससे गुजरे जिससे मैं गुजर चुका हूं। इसके बाद, मैंने इसे जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए अपने जीवन का मिशन बना लिया।”

एक दिलकश यात्रा

देवदास गोस्वामी का जन्म हरियाणा में एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। चूंकि उनके पिता भारतीय सेना का हिस्सा थे, इसलिए उन्हें बचपन में एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहना पड़ा। जब वे 15 वर्ष के थे, तब गोस्वामी ने स्कूल छोड़ दिया, और कुछ अलग-अलग प्रकार के काम करने लगे, और महीने में 50 से 60 रुपये कमा रहे थे। कुछ साल बाद, उन्होंने अपना रास्ता बनाने के लिए घर से बाहर कदम रखा।


गोस्वामी याद करते हैं,

“मैं एक ट्रक ड्राइवर बनना चाहता था, लेकिन मेरा परिवार इससे बहुत खुश नहीं था। इसलिए, मैंने दूर जाने का फैसला किया और रेलवे स्टेशन पर शरण ली। जब मैं एक समय के बाद अपनी भूख को बर्दाश्त नहीं कर सका, तो मैंने एक फूड स्टॉल से संपर्क किया। काउंटर पर खड़े व्यक्ति ने मुझे एक से अधिक पूड़ी देने से इनकार कर दिया, और मुझे गाली भी दी। तभी मैंने एक दिन में अधिक से अधिक भूखे लोगों को भोजन प्रदान करने का फैसला किया।"

कुछ दिनों के संघर्ष के बाद, गोस्वामी पंजाब के लुधियाना में नॉर्दर्न कैरियर प्राइवेट लिमिटेड में ट्रक ड्राइवर के रूप में शामिल होने में कामयाब रहे। हालांकि, उन्होंने सड़कों पर वाहन चलाने, सामान उतारने और समय सीमा को पूरा करने में ही अपने जीवन को बांधे नहीं रखा।





k

वे बताते हैं,

“जब भी मैंने लोगों को बिना कपड़ों, आश्रय या भोजन के बिना सड़कों के किनारे पड़ा देखता, तो मैं ट्रक को एक कोने में खड़ा देता था और कुछ दाल, रोटियाँ और सब्जियाँ पकाता था और उन्हें वितरित करता था। बाद में, मैंने उनको नहलाना और बाल कटवाना भी शुरू किया।" गोस्वामी कहते हैं, ''इन सब के बाद उन्हें मुस्कुराते हुए देखना सबसे अच्छा एहसास था।"


ट्रक ड्राइवर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, गोस्वामी को विभिन्न ट्रैवल कंपनियों द्वारा उनकी समय सीमा को पूरा नहीं करने के लिए कई बार निकाल दिया गया था। खाना पकाने और उसे बांटने के लिए रुकने से गोस्वामी को हर दिन कम से कम एक या दो घंटे लगते थे, जिससे उनकी अधिकांश डिलीवरी लेट होती थी। इसलिए, हमेशा वे एक नई नौकरी की तलाश में रहते थे। इतनी ही नहीं, हर महीने मामूली से पैसे कमाने के बावजूद, गोस्वामी ने अपनी बचत का उपयोग गरीबों को खिलाने के लिए किया।


वे बताते हैं,

“कई बार, मेरे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि मैं अपने परिवार का गुजारा कर सकूँ। मैं मुश्किल से उनकी बुनियादी जरूरतों का ख्याल रख पाता था। मैंने अपनी बेटी की शादी 30 साल की उम्र में की थी क्योंकि मेरे पास तब तक ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे। हालांकि, इस पूरे चरण के दौरान, मैंने कभी यह महसूस नहीं किया कि जिस समस्या के लिए मैं काम कर रहा था, उसे करना छोड़ देना चाहिए।"



k

गरीबी और भुखमरी को दूर भगाना

गोस्वामी की तारा से शादी हुई थी, शादी के बाद तारा ने भी उनके प्रयास में उनका साथ देना शुरू कर दिया। 2008 में, गोस्वामी ने एक ट्रक ड्राइवर की नौकरी छोड़ दी और दोनों ने मिलकर जरूरतमंदों के लिए दो घरों की स्थापना की। उन्होंने अपनी बचत में से 17,000 रुपये प्रतिमाह देकर द्वारका में एक घर किराए पर लिया, जबकि दूसरे घर का निर्माण करने के लिए उन्होंने सोनीपत में अपने प्लाट का इस्तेमाल किया।


गोस्वामी कहते हैं,

“एक बार जब हमारे प्रयासों के बारे में लोगों को पता चलने लगा, तो कई लोग हमारे उन घरों को चलाने के लिए फंड डोनेट करने के लिए आगे आने लगे। यही कारण है कि हम उनके भोजन का भुगतान करने, उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं का ध्यान रखने और अन्य खर्चों को पूरा करने में सफल रहे हैं। अब, हम मानसिक रूप से विकलांग, और सड़कों पर छोड़ दिए गए लोगों को बचाते हैं और उन्हें हम अपने घरों में लाते हैं। कई बार कुछ स्वयंसेवकों भी उन्हें हमारे घर पर छोड़ जाते हैं।"


चूंकि गोस्वामी दोनों घरों में उन लोगों की स्वास्थ्य सेवा को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म मिलाप पर फंड के लिए मदद मांगी है।


अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, 60 वर्षीय गोस्वामी ने कहा,

"मैं कम से कम 20 वर्षों तक जीवित रहना चाहता हूं ताकि मैं वंचितों के लिए और 20 ऐसे घर बना सकूं।"


आज की तेजी से भागती दुनिया में जहां ज्यादातर लोग खुद पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहां गोस्वामी जैसे व्यक्तियों का आना दुर्लभ है, जो इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने को तैयार हैं।