वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
ओलंपियन बन दुनिया भर में छा गई ये लड़की
भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही इस ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गई हो, लेकिन टीम की खिलाड़ियों ने अपने जज्बे से सबको प्रभावित जरूर किया है।
टोक्यो ओलंपिक का समापन हो चुका है और भारत के लिहाज से यह ओलंपिक ऐतिहासिक रहा है। एक स्वर्ण पदक के साथ कुल 7 पदक जीतने के बाद आज देश में लोग जश्न मना रहे हैं,जबकि इसी के साथ तमाम ऐसे खिलाड़ियों को भी लोग पहचान रहे हैं जो इसके पहले शायद 'गुमनाम' ही थे।
भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही इस ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गई हो, लेकिन टीम की खिलाड़ियों ने अपने जज्बे से सबको प्रभावित जरूर किया है। इसी टीम की एक खिलाड़ी हैं नेहा गोयल, जिन्होने तमाम मुश्किलें पार करते हुए भारत के खेल क्षेत्र में अपने लिए एक खास जगह हासिल की है। नेहा भारतीय हॉकी टीम के लिए बतौर मिड फील्डर खेलती हैं।
आज देश में हॉकी का सितारा बन युवाओं को प्रेरित कर रहीं नेहा के लिए यहाँ तक का सफर बेहद कठिन और असीम संघर्ष से भरा हुआ रहा है। मीडिया के साथ हुई बातचीत में नेहा ने बताया है कि उनके पिता शराब के आदी थे और शराब के नशे में चूर होकर वे घर पर उनकी माँ व उनके साथ मारपीट भी करते थे।
नेहा के लिए उनके खेल की तैयारी का आलम यह था कि बेहतर डाइट तो दूर, उनके जूते भी फटे हुए ही रहते थे, क्योंकि नेहा के लिए उन परिस्थितियों में यह सब मैनेज करना नामुमकिन था।
स्टैंडअप कॉमेडियन अपूर्व गुप्ता का इंटरव्यू
YourStory के साथ बातचीत में, कॉमेडियन अपूर्व गुप्ता ने वित्तीय साक्षरता पर अपने शो, स्टार्टअप्स में एक निवेशक के रूप में उनकी भूमिका और कोविड-19 के दौरान उनके द्वारा किए जा रहे राहत कार्यों के बारे में बात की।
इंजीनियरिंग कर चुके स्टैंडअप कॉमेडियन अपूर्व गुप्ता उर्फ गुप्ताजी अब तक 1500 से ज्यादा शो कर चुके हैं।
नई दिल्ली के कॉमेडियन, जिनके ट्विटर पर लगभग 22,000 फॉलोअर्स हैं, ने 2013 में अपनी यात्रा शुरू की, जब उनका एक वीडियो वायरल हुआ। 2014 तक, उनका पहला सोलो शो - अप्पुरव्यू-लाफ (AppurVIew-Laugh) था। उन्हें 2015 के लिए फोर्ब्स इंडिया सेलिब्रिटी 100 नॉमिनी लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया था।
आज, अपने सोलो शो के अलावा, वह स्टार्टअप्स में एक निवेशक है और उनका वित्त और वित्तीय साक्षरता पर एक शो है।
हालांकि, जब इस साल अप्रैल में COVID-19 की दूसरी लहर भारत में आई, तो उन्होंने राहत प्रयासों की दिशा में काम करना शुरू कर दिया।
YourStory के साथ बातचीत में, देश के सबसे सफल स्टैंड-अप कॉमेडियन में से एक, अपूर्व गुप्ता ने अपनी यात्रा के बारे में बात की कि कैसे वह स्टार्टअप्स की मदद कर रहे हैं, और कैसे COVID-19 के दौरान वह राहत कार्य में लगे रहे।
पायलट, जो बना देशी बर्गर चेन का फाउंडर
आज ‘वॉट अ बर्गर’ के आउलेट्स दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोरखपुर और रांची से लेकर वड़ोदरा तक स्थित हैं। इस खास फ़्रांचाइज़ के पास आज देश के अलग-अलग 16 शहरों में 60 से अधिक आउटलेट्स हैं, जिनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
भारत के फास्ट फूड बाज़ार के एक बड़े हिस्से में अभी भी अमेरिकी फास्ट फूड कंपनियों का कब्जा है, लेकिन अब एक भारतीय बर्गर चेन ‘वॉट अ बर्गर’ बड़ी तेजी से इस बाज़ार में अपनी जगह बना रही है।
इस रेस्टोरेन्ट चेन के सह-संस्थापक रजत जायसवाल हैं, जो इससे पहले बतौर एक पायलट अपनी सेवाएँ दे रहे थे। रजत ने पायलट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत साल 2009 में की थी।
हवाई जहाज़ उड़ाने के साथ एक पैशन को हमेशा रजत के साथ रहा वो था खाना। साल 2016 में रजत ने अपने बचपन के दोस्त फरमान बेग के साथ मिलकर नोएडा में ‘वॉट अ बर्गर’ की शुरुआत की थी। रजत ने यह कदम तब उठाया है जब भारत में बर्गर मार्केट के बड़े हिस्से पर अमेरिकी फास्ट फूड कंपनियों का कब्जा है।
रजत के अनुसार जब उन्होने शुरुआत की तब देश में QSR इंडस्ट्री 30 से 35 प्रतिशत की रफ्तार से विकास दर्ज़ कर रही थी, लेकिन उसमें बर्गर का हिस्सा सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत का ही था। इसका मुख्य कारण यह भी था कि बर्गर को भारत में कभी मेनस्ट्रीम खाने की तरह नहीं देखा गया है, बल्कि इसे साइड फूड और स्नैक की तरह ही देखा गया है।
आज ‘वॉट अ बर्गर’ के आउलेट्स दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोरखपुर और रांची से लेकर वड़ोदरा तक स्थित हैं। इस खास फ़्रांचाइज़ के पास आज देश के अलग-अलग 16 शहरों में 60 से अधिक आउटलेट्स हैं, जिनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। गौरतलब है कि रजत के इन फ्यूजन बर्गर ने अपने ग्राहकों के बीच अपनी एक खास जगह बना ली है।
5000 रुपये लगाकर शुरू किया ब्यूटी ब्रांड, आज है 25 करोड़ का रेवेन्यू
कोयंबटूर मुख्यालय वाला ब्रांड जूसी केमिस्ट्री एक डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल पर आधारित ब्यूटी ब्रांड है, जिसे उसके ऑर्गेनिक सामग्रियों और उत्पादों के लिए जाना जाता है। इस साल की शुरुआत में इसने सीरीज ए राउंड फंडिंग के तहत 63 लाख डॉलर जुटाए थे और वित्त वर्ष 2021 में 25 करोड़ रुपये रेवेन्यू कमाया।
एक डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) मॉडल पर आधारित ब्यूटी ब्रांड है, जिसका सफर अगस्त 2014 में कोयंबटूर के एक 10X10 फीट के एक छोटे से किचन से शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत मात्र 5,000 रुपये से हुई थी। कंपनी ने यहां से तेजी से ग्रोथ की और पिछले वित्त वर्ष में उसका राजस्व 25 करोड़ रुपये रहा। इसका लक्ष्य अगले 18 महीनों में 100 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करना है।
इस साल मार्च में, कंपनी ने बेल्जियम की निवेश फर्म Verlinvest की अगुआई में सीरीज ए फंडिंग राउंड में 63 लाख डॉलर जुटाए।
जूसी केमिस्ट्री का फोकस ऑर्गेनिक सामग्रियों और उत्पादों पर है। कंपनी ने करीब 20 देशों में छोटे-स्तर के प्रमाणित किसानों के साथ साझेदारी की हुई है और यह अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचती है। वर्तमान में, कंपनी भारत में 20,000 से अधिक पिनकोड पर अपने उत्पादों को उपलब्ध कराती है और 20 देशों को निर्यात करती है।
Juicy Chemistry की को-फाउंडर मेघा आशेर YourStory से बात करते हुए बताती हैं, "जिन उत्पादों को 'प्राकृतिक' और 'ऑर्गेनिक' बताकर बेचा जाता है, अगर आप उसमें शामिल सामग्रियों की सूची पढ़ें तो एक अलग ही कहानी दिखती है। उत्पादों को इस तरह फर्जी तरीके से पर्यावरण के अनुकूल बताना चौंकाने वाला था और हमें लगा कि हमें इसके बारे में कुछ करना चाहिए। जाहिर है कि ऐसा तभी हो सकता था, जब ऐसा उत्पाद लाया जाए, जो अपने दावे के मुताबिक बिल्कुल सही हो।”
3 भाइयों ने शुरू किया इनरवियर ब्रांड, कोरोना काल में किया 1261 करोड़ का कारोबार
पीआर अग्रवाल, जीपी अग्रवाल और केबी अग्रवाल, ने 1980 के दशक में कोलकाता में Rupa Company की शुरूआत की। यहां बताया गया है कि कैसे इनरवियर ब्रांड एक घरेलू नाम बन गया और इसने कोविड-19 महामारी के बावजूद अपना अब तक का सबसे अधिक कारोबार और मुनाफा दर्ज किया।
अपने युवा दिनों में, पीआर अग्रवाल, जीपी अग्रवाल और केबी अग्रवाल अपने पिता को एक कपड़ों की दुकान चलाते हुए देखकर बड़े हुए, जो इनरवियर बेचते थे।
इनरवियर और होजरी बाजार में दिलचस्पी के कारण, भाइयों ने फैसला किया कि वे कहीं भी नौकरी नहीं करेंगे। इसके बजाय, वे केवल एक कपड़ा व्यवसाय चलाते थे और मोज़े, स्टॉकिंग्स आदि बेचते थे।
इस अचल दृढ़ विश्वास ने Rupa को शुरू करने के लिए बीज बोया - इनरवियर कंपनी जिसे ज्यादातर भारतीय जानते हैं और इस सेगमेंट में बाजार के दिग्गजों में से एक के रूप में पहचानते हैं।
YourStory को दिए एक इंटरव्यू में, Rupa के कार्यकारी निदेशक और सीएफओ रमेश अग्रवाल कहते हैं,
“पटना में, 1968 में, मेरे पिता पीआर अग्रवाल और उनके भाइयों ने बिनोद होजरी (Binod Hosiery) की शुरुआत की, और अंततः रूपा को एक ब्रांड के रूप में लॉन्च किया, जिसने 1985 में बिनोद होजरी को अपने कब्जे में ले लिया। तब से, हमारे परिवार में किसी ने भी कहीं नौकरी नहीं की है। एक पारिवारिक व्यवसाय के रूप में, हमने रूपा को इनरवियर के एक बड़े निर्माता के रूप में विकसित किया और अपना मुख्यालय कोलकाता में स्थानांतरित कर दिया।“
पुरुषों के लिए बनियान, अंडरवियर, बॉक्सर आदि बेचने; महिलाओं के लिए अंडर गारमेंट्स आदि; और बच्चों के लिए अन्य इनरवियर, रूपा ब्रांड जैसे Frontline, Softline, Euro और अन्य अब घरेलू नाम बन गए हैं।
जब कई भारतीय व्यवसायों ने वित्त वर्ष 2021 के दौरान मंदी और रेवेन्यू में गिरावट का अनुभव किया, तो रूपा ने 1,261.22 करोड़ रुपये का अपना उच्चतम शुद्ध बिक्री कारोबार और 180.90 करोड़ रुपये के कर के बाद लाभ दर्ज किया। राज्यों में कई लॉकडाउन के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद, FY21 की बिक्री FY20 के शुद्ध बिक्री कारोबार 941.4 करोड़ रुपये और कर के बाद लाभ 80 करोड़ रुपये से अधिक हो गई।