पढ़ें इस हफ्ते की टॉप 5 स्टोरीज़
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ओयो रूम्स से सभी परिचित हैं, लेकिन ओयो रूम्स को शुरू करने वाले रितेश अग्रवाल की यात्रा अधिकांश लोग अभी अंजान ही हैं। रितेश ने किस तरह देश के सबसे युवा अरबपति होने का तमगा हासिल किया या राजस्थान के झुंझनू जिले से निकल कर तमाम असफलतों के बीच विजय सिंह ने यूपीएससी क्लीयर करते हुए आईपीएस अफसर के रूप में अपना सपना पूरा किया।
ऐसी ही कुछ स्टोरीज़ हमने इस हफ्ते प्रकाशित कीं, जिन्हे आप बिलकुल भी मिस नहीं करना चाहेंगे। यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत स्टोरीज़ के साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हे विस्तार से पढ़ सकते हैं।
कहानी सबसे युवा अरबपति की
जब देश के सेल्फ मेड बिलेनियर्स की गिनती होती है तो उसमें ओयो रूम्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है। रितेश जब महज 13 साल के ही थे, तब उन्होने जगह-जगह जाकर सिम कार्ड बेंचने से अपनी शुरुआत की थी और महज 26 साल की उम्र में रितेश अरबों के मालिक हैं। रितेश भारत के सबसे कम उम्र में अरबपति बनने वाले शख्स भी हैं।
रितेश अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं,
योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में रितेश मज़ाकिया अंदाज में कहते हैं, “मेरे परिजनों को लगता था मैं जीवन में कुछ नहीं कर पाऊँगा। अगर मुझे किसी आईटी कंपनी में नौकरी मिल जाती तो मैं बहुत अच्छा करता।”
रितेश की यह प्रेरक यात्रा आप इधर पढ़ सकते हैं।
‘रुक जाना नहीं’
राजस्थान के झुंझनू जिले से निकल कर पहले दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर नौकरी फिर यूपीएससी क्लियर कर आईपीएस बनने का विजय सिंह गुर्जर का सफर आपको हमेशा मुश्किलों का सामना कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।
अपने सफर को याद करते हुए विजय बताते हैं,
“मेरा एक दोस्त पहले से दिल्ली पुलिस में सिपाही था, उसने मुझे दिल्ली आकर कोचिंग जॉइन करने की सलाह दी। दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पोस्ट पर मेरा चयन हो गया। जिस दिन मेरा कांस्टेबल का परिणाम आया था, मैंने अपने पिताजी को अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा खुश देखा।”
विजय बताते हैं कि किस तरह उन्हे यूपीएससी की परीक्षा में बार-बार असफलता का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन फिर उनकी मेहनत ने उन्हे आखिरकार सफलता के शिखर पर पहुंचाया। विजय की यह प्रेरणादायक कहानी आप इधर पढ़ सकते हैं।
बेरोजगारी से लड़ाई
इंजीनियरिंग क्षेत्र हमेशा से छात्रों के बीच एक लोकप्रिय करियर विकल्प रहा है, लेकिन हर साल पास होने वाले 15 लाख से अधिक इंजीनियरिंग स्नातकों के साथ अब सभी के लिए नौकरी पाना कठिन हो गया है। नए स्नातकों के पास व्यावहारिक ज्ञान और अप-टू-डेट कौशल की कमी से समस्या और अधिक बढ़ जाती है, जो उन्हें और भी अधिक बेरोजगार बनाती है।
इस समस्या के समाधान के लिए एडटेक प्लेटफॉर्म स्किल-लिंक कम कर रहा है, जो एक ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है जो ज्यादातर गैर-सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग छात्रों की मदद करता है। स्किल-लिंक किस तरह इंजीनियरिंग छात्रों को रोजगार के हिसाब से तैयार कर रहा है, उसके बारे में आप इधर पढ़ सकते हैं।
‘वीआर’ की ओर कदम
आज शिक्षण को अधिक संवादात्मक, मज़ेदार और रोमांचक बनाने के लिए शैक्षिक संस्थान प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। डिजिटल उपकरणों के युग में प्रौद्योगिकी छात्रों के लिए बेहतर सीखने को सक्षम करने का अवसर देती है और शिक्षा में वर्चुअल रियलिटी (वीआर) को सक्षम करना इस दिशा में अगला कदम है और इसे आगे ले जाने का काम fotonVR कर रहा है।
चार दोस्तों- विजय ठक्कर, मयूर पटेल, मेहुल पटेल और धवल सोनपाल द्वारा दिसंबर 2017 में स्थापित किया गया एडटेक स्टार्टअप fotonVR आज छात्रों के सीखने के तरीकों को बादल रहा है। इस खास स्टार्टअप के बारे में आप इधर पढ़ सकते हैं।
शून्य लागत से शुरू करें सफर
आंत्रप्रेन्योर (उद्यमी) बनने का सपना देखने वाले लोगों के लिए, स्टार्टअप कॉस्ट (लागत) एक महत्वपूर्ण बाधा हो सकती है, लेकिन यह आपके सफर को नहीं रोक सकती अगर आपके हौसले मजबूत हों तो। आप कुछ खास बिजनेस आइडियाज के साथ आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि इन्हे शुरु करने के लिए स्टार्टअप कॉस्ट या रिसोर्सेज की बहुत कम जरुरत होती है और आप इससे बड़ा लाभ कमा सकते हैं।
इनमें से कई आइडियाज़ के बारे में आपने पहले से सुन रखा होगा, वहीं कुछ आपके लिए नए भी हो सकते हैं। इस पूरी स्टोरी को आप इधर पढ़ सकते हैं।