वीकली रीकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ हम आपके सामने इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ पेश कर रहे हैं, जिन्हे आप इधर संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
उत्तराखंड में मशरूम गर्ल दिव्या रावत आज मशरूम कल्टीवेशन के जरिये करोड़ों का कारोबार कर रही हैं, इसी के साथ उन्होने अपने अथक प्रयास के जरिये बीते सालों में क्षेत्र से हो रहे किसानों के पलायन को रोकने में भी कामयाबी हासिल की है। इसी के साथ पुरुष प्रधानता वाले लॉजिस्टिक क्षेत्र में अपनी खास जगह बना लेने वाली सुनीता जोशी की प्रेरणा से भरपूर यात्रा भी आपको काफी रोचक लगेगी।
ऐसी ही कई बेहतरीन कहानियाँ हमने इस हफ्ते प्रकाशित की हैं, जिन्हे यहाँ हम आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
ये है 'मशरूम गर्ल'
उत्तराखंड राज्य के चमोली (गढ़वाल) जिले की दिव्या रावत आज महिला किसान से जुड़े हुए वो सारे भ्रम तोड़ रही हैं, जो इस पित्तृसत्ता से जूझते हुए समाज ने सदियों से बुने हैं। दिव्या ने महिला किसान होने को एक नई परिभाषा देने का काम किया है, जहां उन्होने यह साबित किया है कि एक महिला खुद को किसान के रूप में स्थापित करते हुए अच्छी कमाई के साथ ही समाज में अपनी विशेष जगह भी बना सकती है। दिव्या आज मशरूम कल्टीवेशन के क्षेत्र में एक जाना माना नाम बन चुकी हैं और उन्हे ‘मशरूम गर्ल’ से संबोधित भी किया जाता है। मशरूम के जरिये दिव्या आज करीब 2 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार कर रही हैं।
दिव्या को अब तक कई बड़े अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है, कुछ साल पहले उन्हे राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति अवार्ड से भी नवाजा गया था। दिव्या की कहानी बेहद दिलचस्प और प्रेरणा देने वाली है कि किस तरह उन्होने दिल्ली एनसीआर में अपनी अच्छी नौकरी छोड़कर वापस अपने गृह नगर की ओर रुख किया और अपने काम और अपनी लगन के जरिये क्षेत्र में हो रहे किसानों के पलायन को रोकने में सफलता हासिल की है। दिव्या की यह प्रेरणादायक और रोचक यात्रा आप इधर पढ़ सकते हैं।
दिव्यांग समुदाय के लिए पहल
LoveActuallyMe की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य दिव्यांग (PWD) समुदाय को सशक्त करने के साथ ही उन्हे प्रोत्साहित करना है। सह-संस्थापक रजनीश ने इस पहल के बारे में खुलकर बात करते हुए बताया है कि किस तरह उनकी पहल के जरिये समुदाय को आत्मविश्वास के साथ ही नए मौकों को जोड़ा जा रहा है।
पहल के तहत इग्नाइट नाम से एक इवेंट का भी आयोजन किया जाता है, जहां PWD समुदाय के लोग अपनी रुचि के अनुसार कई तरह की एक्टिविटी में हिस्सा लेते हैं। इस पहल के बारे में आप इधर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
लॉजिस्टिक में बनाई जगह
भारत में लॉजिस्टिक सेक्टर को पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता है, लेकिन 50 वर्षीय सुनीता जोशी ने बात को खारिज करते हुए इस क्षेत्र में ना सिर्फ अपनी जगह बनाई है, बल्कि उन्होने स्थिर व्यवसाय की स्थापना भी की है। सुनीता ने योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में व्यवसाय की स्थापना के दौरान आने वाली कठिनाइयों को साझा किया और बताया कि उन्होने किस तरह से चुनौतियों का सामना किया।
आज उनकी कंपनी को अमेज़ॅन और ब्लूडार्ट जैसी दिग्गज कंपनियों का समर्थन प्राप्त है। गौरतलब है कि भारत में लॉजिस्टिक सेक्टर को 2019 और 2025 के बीच 10.5 प्रतिशत के सीएजीआर में बढ़ने का अनुमान है। इसे इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस से भी सम्मानित किया गया है, जिससे निवेश में तेजी आई है।
एक साल में कमाया मुनाफा
रायपुर की सोनाक्षी नैथानी और करनाल के आशुतोष सिंगला ने IIIT में एक साथ पढ़ाई की और फिर अलग-अलग कंपनियों में नौकरी भी की, लेकिन नौकरी में संतुष्टि न मिल पाने के चलते दोनों ने साथ मिलकर स्टार्टअप बिकाई की स्थापना की, जो महज एक साल के भीतर ही लाभदायक हो गया और इसी के साथ स्टार्टअप ने हाल ही में 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी जुटाई है।
इन दोस्तों का स्टार्टअप आज अमेज़ॅन और रिलायंस की रिटेल ब्रांच जियो मार्ट को टक्कर देने के लिए खड़ा है, हालांकि संस्थापक इस सीधी टक्कर से इंकार करते हैं। स्टार्टअप जनवरी 2021 तक उभरते हुए बाजारों पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ यह प्लेटफॉर्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की योजना बना रहा है।
रातों-रात ऐप हुई लोकप्रिय
जब भारत ने 30 जून को पहली बार चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, तो गुरुग्राम स्थित ओर्डेनैडो लैब्स के संस्थापकों के पास एक मौका था जिसके लिए "वे तरस रहे थे"। हालांकि यह चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध के बारे में नहीं था। यह वह मौका था जब उनका ऐप ज़ीरो डाउनलोड से रातों-रात लाखों तक चला गया।
15-दिन पुराने स्कैनिंग ऐप कागज़ स्कैनर ने 59 चीनी ऐप (जिसमें कैमस्कैनर भी शामिल था) पर प्रतिबंध के तुरंत बाद एक मिलियन डाउनलोड पार किया था, जो डिवाइसेस को डॉकयुमेंट या इमेज स्कैनर के रूप में उपयोग करने की अनुमति देता है।