वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
इंस्टाग्राम के जरिए शुरू किया ऑनलाइन बिजनेस
महामारी से प्रभावित, भावना मनोज देसवानी ने अपने परिवार द्वारा संचालित बुटीक में व्यवसाय लाने में मदद करने के लिए एक इंस्टाग्राम स्टोर लॉन्च किया। उन्होंने मास्क बेचकर शुरुआत की और अब ऑनलाइन हेयर एक्सेसरीज और परिधान बेचती हैं।
अधिकांश व्यवसायों की तरह, भावना मनोज देसवानी का पारिवारिक व्यवसाय भी COVID-19 से प्रभावित था। परिवार राजस्थान के अमरावती में महिलाओं के कपड़ों के लिए एक बुटीक चलाया है और लॉकडाउन से इसे भारी झटका लगा।
लेकिन लॉकडाउन दो बच्चों की 43 वर्षीय मां भावना को नहीं रोका पाया, जिन्होंने इंस्टाग्राम के माध्यम से व्यवसाय को ऑनलाइन करने का फैसला किया। आज उनकी आमदनी का 80 प्रतिशत के करीब इंस्टाग्राम से आता है और वह हर महीने 50,000 रुपये से 80,000 रुपये के बीच कमाती हैं। बीएड ग्रेजुएट भावना शादी से पहले एक स्कूल में शिक्षिका थीं। हालाँकि, उनके लिए अध्यापन जारी रखना कठिन होता जा रहा था।
वह बताती हैं, “घरेलू काम और बाहर के कामों को करना काफी कठिन हो गया। मुझे घर पर सब कुछ संभालना था, और यह सुनिश्चित करना था कि मेरे बच्चे मेरे जाने से पहले स्कूल जाएं, स्कूल का काम तैयार करना और घर संभालना, सब मुझ पर था। इसलिए, मैंने पढ़ाना छोड़ दिया।”
उन्होंने टेक्सटाइल के पारिवारिक व्यवसाय और उनके स्वामित्व वाले बुटीक में शामिल होने का फैसला किया। फैशन और कपड़ा व्यवसाय में आना भावना के लिए कोई नई बात नहीं थी क्योंकि उनके मामा का घर भी इसी व्यवसाय में है, और वह पढ़ाते समय भी अपने ससुराल वालों की घर से मदद करती रही हैं।
महामारी के बीच 100 बच्चे गोद लेने वाले जय शर्मा
देहरादून के जय शर्मा ने ऐसे 100 अनाथ बच्चों को गोद लेने का निर्णय लिया है, जिन्होने अपने माता-पिता को कोरोना वायरस महामारी के चलते खो दिया।
26 साल के समाजसेवी जय शर्मा Just Open Yourself (JOY) नाम के एक एनजीओ के संस्थापक भी हैं। जय के इस एनजीओ ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज के जरिये यह घोषणा की है कि वह ऐसे 100 बच्चों को गोद लेने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। गौरतलब है कि इसके अलावा एनजीओ पहले से ही 20 अन्य बच्चों की देखभाल का जिम्मा उठा रहा है।
मीडिया से बात करते हुए जय ने बताया है कि ये बच्चे उत्तरकाशी, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और देहरादून जिलों से हैं। एनजीओ ने इन सभी बच्चों कि तब तक देखभाल करने का लक्ष्य बनाया है जब तक ये बच्चे स्वयं आत्मनिर्भर नहीं हो जाते हैं।
जय के अनुसार महामारी के दौरान वे शुरुआती दो हफ्तों में ही ऐसे पाँच परिवारों से मिले थे जहां पर माता और पिता दोनों की ही मृत्यु हो गई थी। इन घरों में अधिकतर बच्चे बेहद कम उम्र के थे। जय ने तब ही यह अनुमान लगा लिया था कि यह संख्या अभी और अधिक बढ़नी है।
फिलहाल एनजीओ पहले चरण में 50 बच्चों को गोद लेने की ओर बढ़ रहा है। जॉय एनजीओ अब इन सभी बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा सहायता और वित्त समेत अन्य सभी जरूरी पहलुओं का ख्याल रखेगा।
जॉय एनजीओ सिर्फ देहरादून के ही नहीं बल्कि पहाड़ी इलाकों और ग्रामीण इलाकों से भी अनाथ बच्चों को गोद ले रहा है। एनजीओ लगातार पहाड़ियों के गांवों की ग्राम पंचायतों के संपर्क में है,जो टीम को उन अनाथ बच्चों की जानकारी देंगे जिन्हें फौरन मदद की जरूरत है। इसके बाद उन बच्चों के आत्मनिर्भर होने तक उनकी मदद करने की जिम्मेदारी संस्था की होगी।
कोरोनाकाल में भी ग्रोथ करता रहा एथिनिक ब्रांड Tjori
आर्टिसनल एथिनिक D2C ब्रांड Tjori ने मीडिया संस्थान हिंदुस्तान टाइम्स के साथ 16 करोड़ रुपये की इक्विटी डील साइन की है। इस डील के तहत हिंदुस्तान टाइम्स न सिर्फ तिजोरी में निवेश करेगा, बल्कि भारत में इस ब्रांड को लेकर जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर इसकी ग्रोथ तेज करने में भी मदद करेगा।
वर्ष 2013 में मानसी गुप्ता ने 10 लाख रुपये की अपनी व्यक्तिगत बचत के साथ दिल्ली-एनसीआर में तजोरी की शुरुआत की। अमेरिकी की व्हार्टन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाली मानसी ने पाया कि विदेशों में भारतीय हस्तशिल्प की भारी मांग है, लेकिन कई भारतीय ब्रांड मिलकर भी इस जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
इस तरह उन्होंने तजोरी की शुरूआत की जो एक मल्टी कैटगरी, ऑनलाइन आधारित आर्टिसनल एथिनिक ब्रांड है। इसके तहत कपड़े, वेलनेस, होम, और मां व बच्चों से जुड़े उत्पाद शामिल हैं।
कभी एक छोटे से व्हाइटबोर्ड पर शुरू होने वाले इस स्टार्टअप का फोकस भारत के पारंपरिक और विरासत हस्तशिल्प पर है। मानसी बताती हैं, "हम जारा से प्रभावित थे, जो स्पेन के एक छोटे से बुटीक से शुरू हुई थी, और अब जिसने फैशन की दुनिया पर कब्जा कर लिया है।"
आज तजोरी की 195 देशों में उपस्थिति हैं और 2019 तक कंपनी 50 करोड़ रुपये का सालाना आमदनी अर्जित कर रही थी। स्टार्टअप ने 2017 में परिवार और दोस्तों से 1.5 करोड़ रुपये जुटाए थे और 2019 में, तजोरी ने एक ओमनीचैनल ब्रांड के रूप में विस्तारित करने के लिए प्री-सीरीज ए के तहत पूंजी जुटाई थी।
मार्च 2020 में कोरोना महामारी की जब पहली लहर भारत में आई और देशव्यापी तालाबंदी लग गया, तो तजोरी को भी झटका लगा, जो उस समय सभी बिजनेसों को लगा था।
मानसी ने बताया, “पहले कुछ महीनों के दौरान सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई और सभी पर इसका असर पड़ा। हालांकि जैसे ही डिलीवरी शुरू हुई, एक सेगमेंट के रूप में ईकॉमर्स में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।” टीम ने कोरोना काल के दौरान $50,000 रन-रेट और 2020 में शुरुआती फ्लैट महीनों के बाद 10% की वृद्धि देखी।
बाप-बेटे की जोड़ी ने बनाई ताजा खाना बनाने वाली खास डिवाइस
यूरोप के विभिन्न देशों में छह साल तक काम करने के बाद, जयकृष्णन भारत लौट आए लेकिन वह इस बारे में सोचते रहे। वह एक ऐसे उत्पाद का आविष्कार करना चाहते थे, जिससे खाना पकाने की प्रक्रिया को सरल हो जाए। साथ ही समय और मेहनत दोनों की भी बचत हो।
जयकृष्णन और उनके पिता, आरके गणेशन ने 2018 में मिलकर राकाका फूड टेक्नोलॉजीज (आरएफटी) की स्थापना की। कंपनी का पहला उत्पाद एक साधारण प्लग-एंड-प्ले डिवाइस है, जो एक ट्रे पर सही मात्रा में सही सामग्री रखकर किसी भी व्यंजन को पकाने में सक्षम होगा।
वह इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हैं, "आपने वीसीडी प्लेयर देखा होगा। यह जैसे काम करता है, हम भी उससे प्रभावित थे। डिवाइस सही समय पर ट्रे से सामग्री निकालता है और सामग्री को सही तापमान पर गर्म करता है। यह चीज उत्पाद को वैश्विक बनाती है, फिर चाहे आप कोई भी पकवान बना रहे हैं, बनाने की प्रक्रिया वही रहती है। अलग सिर्फ इस्तेमाल में आने वाली सामग्री होगी (एक वीसीडी की तरह), जो एक अलग इकाई होगी।"
वह कहते हैं, "सामग्री को यूज-एंड-थ्रो मल्टी-कम्पार्टमेंट किट में रखा जाता है, जो सफाई की प्रक्रिया को आसान बनाता है। "एक बार पकाए जाने के बाद, पैकेट को छोड़ दें।"
डिवाइस रिमोट एक्सेस के लिए IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) से लैस है और क्लाउड सॉफ्टवेयर से निकाले गए निर्देशों के आधार पर व्यंजनों को पकाता है। पूरा सिस्टम - सामग्री की किट, खाना पकाने का ऑटोमेटिक उपकरण और क्लाउड प्रौद्योगिकी (ITES) - अपनी तरह की पहली डिवाइस है और इसे पेटेंट प्रदान किया गया है।
संस्थापकों ने एक डिवाइस का एक मॉडल लॉन्च किया है और वर्ष के अंत तक एक सॉफ्ट लॉन्च और मार्च 2022 तक एक वाणिज्यिक लॉन्च पर नजर गड़ाए हुए हैं। उन्हें पी चंद्रशेखर द्वारा सलाह दी जाती है, जो पेशे से एक चार्टेड अकाउंटेंट हैं और उनके पास खाड़ी देशों में विविध क्षेत्रों में 30 साल से अधिक का अनुभव है।
इस स्टार्टअप की मदद से विदेश में पढ़ने का सपना होगा पूरा
सोशल कम्युनिकेशन स्टार्टअप Edumpus ने छात्रों के लिए एआई संचालित करियर गाइडेंस प्लेटफॉर्म बनाया है। इससे छात्रों को विदेश में अपनी यूनिवर्सिटी लाइफ में ढलने में मदद मिलती है - मुफ्त में।
केरल के दो दोस्तों - अजेश राज और बासिल अली - ने 2019 में एडम्पस बनाने का फैसला किया।
एडम्पस के सह-संस्थापक और सीईओ अजेश कहते हैं, "स्टार्टअप उसी तरह स्टूडेंट रिक्वायरमेंट इंडस्ट्री को बदलने का प्रयास कर रहा है, जिस तरह से अमेजॉन ने सामान खरीदने के अनुभव को फिर से परिभाषित किया है - यानी की छात्रों को उचित निर्णय लेने के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करना।"
दरअसल विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान यह विचार उनके अपने व्यक्तिगत अनुभव से उपजा। यात्रा के प्रत्येक चरण में, उन्हें विभिन्न बाधाओं और एक पुरातन प्रणाली का सामना करना पड़ा।
यूनाइटेड किंगडम में डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी में मिलने के बाद, दोनों संस्थापकों को विश्वास था कि डिजिटलीकरण स्टूडेंट रिक्वायरमेंट इंडस्ट्री को बदल सकता है और छात्रों के लिए अपनी उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाना आसान बना सकता है। दोनों ने एडम्पस को एक सोशल कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया, जिसे यूनिवर्सिटी, छात्रों और सलाहकारों के बीच संचार यानी कम्युनिकेशन को आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया था।
सह-संस्थापक और सीओओ बासिल के अनुसार, स्टार्टअप दुनिया भर के संस्थानों और छात्रों के बीच एक सेतु बनने की इच्छा रखता है, और वास्तव में एक वैश्विक आउटरीच बनाना चाहता है जो न केवल छात्रों को अपने करियर के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद करेगा बल्कि संस्थानों को एक संपूर्ण प्रक्रिया बनाए बिना अच्छे छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए अपने संसाधनों का लाभ उठाने का एक कुशल तरीका भी प्रदान करेगा।
छात्र ऐप या वेबसाइट के माध्यम से प्लेटफॉर्म पर साइन अप कर सकते हैं। वे 500 से अधिक यूनिवर्सिटी और उस पर उपलब्ध 50,000 पाठ्यक्रमों को सर्च कर सकते हैं और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर सही कोर्स को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।