वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
देश की सबसे युवा डॉक्टर-पायलट
तरनज्योत कैन्थ आज एक डॉक्टर होने के साथ ही एयरलाइन कैप्टन भी हैं और उनके नाम पर देश की सबसे युवा महिला डॉक्टर-पायलट होने का रिकॉर्ड भी दर्ज़ है।
तरनज्योत कैन्थ आज एक डॉक्टर होने के साथ ही एयरलाइन कैप्टन भी हैं और उनके नाम पर देश की सबसे युवा महिला डॉक्टर-पायलट होने का रिकॉर्ड भी दर्ज़ है। तरनज्योत के पिता खुद भी एक डॉक्टर हैं और वे भी बचपन में अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए आगे बढ़ना चाहती थीं।
तरनज्योत ने अपनी मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास की और दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। तरनज्योत जब डॉक्टर बन गईं तब भी उनके उनके द्वारा बचपन में देखे गए पायलट होने का सपना बार-बार उन्हें परेशान कर रहा था और वे इसे पूरा करना चाहती थीं। एक 6 साल के बेटे की माँ तरनज्योत ने तभी तय किया कि वे अपने पैशन को फॉलो करेंगी और पायलट बनेंगी।
2010 में उन्होने सबसे कम उम्र की डॉक्टर पायलट बन द लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज़ करवाया था। तरनज्योत मानती हैं कि उनके लिए यह सब कर पाना इसलिए संभव हो सका क्योंकि उनके पास एक सहायक परिवार है जिसने हमेशा उन्हें जीवन की सभी मुश्किलों के खिलाफ खड़े होने और स्वतंत्र होकर हमेशा खुद पर विश्वास करने के लिए समर्थन दिया है।
41 वर्षीय तरनज्योत के अनुसार उन्हें उनके घर पर बिना शर्त समर्थन मिला और इसने उन्हें अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाई है। 13 नवंबर 2021 को तरनज्योत को फेस ऑफ नॉर्थ- मिसेज इंडिया प्राइड ऑफ नेशन रेविशिंग 2021 का ताज पहनाया गया।
घाटे में चल रही शराब कंपनी को मुनाफे तक पहुंचाने वाली रोशिनी सनाह जायसवाल
रोशिनी भारत की सबसे पुरानी शराब बनाने वाली कंपनियों में से एक - पंजाब के कपूरथला में स्थित जगतजीत इंडस्ट्रीज के संचालन का नेतृत्व भी करती हैं।
SwanRose, जो तीसरी पीढ़ी की उद्यमी रोशिनी सनाह जायसवाल द्वारा शुरू किया गया एक निवारक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र यानी प्रिवेंटिव हेल्थकेयर वर्टिकल है।
जब COVID-19 महामारी आई, तो सभी उद्यमियों की तरह, रोशिनी ने व्यवसाय को चालू रखने के तरीकों के बारे में सोचना शुरू कर दिया। वे कहती हैं, "जब मैंने महामारियों और युद्ध के परिदृश्यों के बारे में अध्ययन किया, तो मैंने सीखा कि कारखानों को जीवित रखने के लिए आपको किसी न किसी तरह से सरकार के लिए कारगर साबित होना होगा।"
उनके अनुसार, जगतजीत इंडस्ट्रीज की टीम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुरू की गई सिफारिशों को पढ़ना शुरू कर दिया और तुरंत सैनिटाइजर का निर्माण शुरू कर दिया। नतीजतन, व्यापार कभी नहीं रुका। “मार्च 2020 में हमारे कारखाने केवल 10 दिनों के लिए बंद थे।”
हालाँकि, सैनिटाइजर बनाने के इस छोटे से विचार ने एक बड़े व्यावसायिक अवसर का मार्ग प्रशस्त किया - और अंततः अप्रैल 2020 में स्वानरोज की स्थापना हुई।
दिल्ली की रहने वाली रोशनी याद करती हैं कि उस समय हर दूसरे व्यवसाय ने सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया था। हालाँकि, वह चाहती थीं कि उनका ब्रांड स्वानरोज सबसे अलग खड़ा हो, इसके लिए उन्हें जल्द ही जस्ट ह्यूमन नामक सैनिटाइटर की एक प्रोडक्ट लाइन में एक रास्ता मिल गया , जो 24 घंटे की प्रभावकारिता का दावा करता है। सैनिटाइजर पहले अमेरिका और फिर भारत में लॉन्च किए गए, और रोशिनी का दावा है कि सैनिटाइजर ने भारत में यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल इंडिया (डीसीजीआई) की मंजूरी भी प्राप्त कर ली है।
जस्ट ह्यूमन सैनिटाइजर, 10ml और 50ml की बोतलों के जुड़वां पैक में उपलब्ध हैं। इसकी कीमत 150 रुपये से शुरू होती है। रोशिनी कहती हैं कि उन्हें अच्छी तरह से पता है कि इन sanitisers की कीमत बाजार मूल्य से थोड़ी ज्यादा है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि आप इसे दिन में केवल एक बार ही लगाते हैं। SwanRose ने इस उत्पाद को विकसित करने के लिए अमेरिका, चीन और हांगकांग की प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी की है। 24 घंटे का सुरक्षा अणु अमेरिका से आयात किया जाता है।
इसका घाटा लगातार कम हुआ है और मुनाफा बढ़ा है। FY20 में, जगतजीत ने 48.87 प्रतिशत के नुकसान पर 225.28 करोड़ रुपये कमाए, जबकि FY21 में, इसने 5.08 प्रतिशत के लाभ पर 420.59 करोड़ रुपये कमाए। मई 2021 में अपनी स्थापना के बाद से स्वानरोज ने 6.5 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है।
रेस्टोरेंट मालिक ने बनाया पहनने योग्य सुरक्षा उपकरण
धनंजय गुप्ता ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ मिलकर सेफलॉकेट विकसित किया। यह एक उच्च तकनीक वाला शक्तिशाली उपकरण है जिस पर लोग अपनी सुरक्षा के लिए भरोसा कर सकते हैं।
रेस्तरां मालिक से उद्यमी बने धनंजय गुप्ता ने महसूस किया कि महिलाओं की सुरक्षा को देखने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है। ऐसे मामलों के बारे में पढ़ते और शोध करते हुए धनंजय ने महसूस किया कि महिलाएं उस समय सबसे कमजोर मजसूस कर रही थीं जब उनके पास अपने फोन तक पहुंच नहीं थी और वे पूरी तरह से अपरिचित स्थान पर थीं।
धनंजय कहते हैं, "हमने महसूस किया कि उनके पास एक पहनने योग्य उपकरण होना चाहिए जो महिलाओं को आश्वस्त करे कि कोई है जो उनकी सहायता के लिए आ सकता है और लोग उनके स्थान को जानते हैं।"
इसने उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के साथ मिलकर सेफलॉकेट विकसित करने के लिए प्रेरित किया। यह एक उच्च तकनीक वाला शक्तिशाली उपकरण है जिस पर लोग अपनी सुरक्षा के लिए भरोसा कर सकते हैं। अन्य जीपीएस ट्रैकिंग उपकरणों के विपरीत, यह डिवाइस वाई-फाई, ब्लूटूथ या किसी अन्य बाहरी डिवाइस सपोर्ट के बिना स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकती है।
सेफ लॉकेट व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए एक उच्च तकनीक वाला सरल उपकरण है। उत्पाद का निर्माण एट्रैक्सिया मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है, जो नए जमाने की अत्याधुनिक तकनीक का निर्माण और शोध करता है और समाधानों के लिए एक अलग विजन प्रदान करता है।
उत्पाद न केवल महिलाओं के लिए बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी विकसित किया गया है। सेफ लॉकेट पहनते समय, बस इतना करना है कि लॉकेट को तुरंत दबाया जाए और कुछ ही मिनटों में मदद आ जा जाती है। उत्पाद को IIT खड़गपुर के छात्रों और दुनिया भर के इंजीनियरों के सहयोग से विकसित किया गया है, जिसमें इसरो के इंजीनियरों और डेवलपर्स और भारतीय रक्षा इंजीनियरों शामिल हैं।
नासा के इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय बनीं जाह्नवी
आंध्र प्रदेश की रहने वाली जाह्नवी डांगेती ने नासा का इंटेरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम (IASP) पूरा किया है और इसी के साथ वे ऐसा करने वाली देश की पहली व्यक्ति बन गई हैं।
हाल ही में देश की एक बेटी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसके लिए दुनिया भर के छात्र सपने देखते हैं। आंध्र प्रदेश की रहने वाली जाह्नवी डांगेती ने नासा का इंटेरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम (IASP) पूरा किया है और इसी के साथ वे ऐसा करने वाली देश की पहली व्यक्ति बन गई हैं।
नासा का यह खास प्रोग्राम एलाबामा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर में आयोजित हुआ था और जाह्नवी को दुनिया भर से शॉर्टलिस्ट किए गए 20 कैंडिडेट में जगह मिली थी।
नासा की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, "IASP भविष्य के हवाई वाहनों और परिचालन प्रणालियों में उन्नत वैमानिकी टेक्नोलॉजी को प्रभावी ढंग से परिपक्व करने के लिए फ्लाइट-ओरिएंटेड, सिस्टम-लेवल रिसर्च और टेक्नालजी डेवपमेंट आयोजित करता है।"
जाह्नवी डांगेती लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की बीटेक की द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। नासा का यह प्रतिष्ठित इंटरनेशनल एयर एंड स्पेस प्रोग्राम (IASP) दरअसल एक 5 दिवसीय शैक्षिक कार्यक्रम है, जिसमें छात्रों और नासा इंजीनियरों के बीच टीम वर्क, समस्या-समाधान और कम्यूनिकेशन को शामिल कर किसी भी अप्रत्याशित समस्या को समझते हुए उसे हल कर सकने पर काम किया जाता है।
इस प्रोग्राम में संपूर्ण अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम शामिल था और इसमें ज़ीरो-ग्रैविटी, मल्टी एक्सेस ट्रेनिंग के साथ-साथ अंडर वाटर रॉकेट लॉन्च जैसी गतिविधियां शामिल की गईं थीं। इसी के साथ इस दौरान जाह्नवी को भी पहली बार विमान उड़ाने का मौका मिला है।
एथलेटिक ब्रांड पर बड़ा दांव लगा रहा है अहमदाबाद का यह उद्यमी
रोहन शाह के लिए एक ब्रांड लॉन्च करना मुश्किल नहीं था, लेकिन फ्रेंच स्पोर्ट्स सामान बेचने वाली डिकेथलॉन, नाइकी, आदि के प्रभुत्व वाले बाजार में क्वालिटी और किफायती उत्पादों की पेशकश करना कठिन था।
रोहन एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जो पहले से ही इनरवियर बनाने के व्यवसाय में था, इससे रोहन को एथलीजर और एक्टिव वियर मार्केट का अच्छा ज्ञान था। वह जल्दी से समझ गए थे कि उनके जैसे फिटनेस फ्रीक के लिए एक किफायती रेंज में एक अच्छी एथलेटिक रेंज की जरूरत है। कुछ शोध करने के बाद, रोहन ने 2016 में अपना खुद का ब्रांड TRUEREVO लॉन्च करने का फैसला किया।
छह वर्षों में, कंपनी का दावा है कि वह साल दर साल 75 प्रतिशत की वृद्धि कर रही है, जिसमें Truerevo "स्थापना के बाद से लाभदायक" है।
35 वर्षीय रोहन कहते हैं कि ब्रांड जागरूकता पैदा करने में समय लगता है। उन्होंने अब तक के अपने सफर के बारे में बात की है।
भारत में आधिकारिक रूप से लॉन्च करने के अलावा, उन्होंने एक किकस्टार्टर कार्यक्रम में ब्रांड को पंजीकृत किया जहां उन्हें लगभग 1,200-1,500 ऑर्डर मिले जो उन्होंने 50 देशों को भेजे।
रोहन ने योरस्टोरी को बताया, “ऑर्डर की इतनी आमद देखकर मैं हैरान और खुश था। इससे मुझे विश्वास हुआ कि उत्पाद भारतीय दर्शकों को पसंद आएगा, और इसलिए मैंने इसे D2C ब्रांड के रूप में और ईकॉमर्स मार्केटप्लेस के माध्यम से खुदरा बिक्री शुरू कर दी।”
अपने कारोबार के पहले साल में ट्रूरेवो ने 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया। रोहन का दावा है कि कंपनी ने 4.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया और वित्त वर्ष 2021 में एक महीने में लगभग 4,000 ऑर्डर प्राप्त किए।
वे कहते हैं, “महामारी हमारे लिए एक वरदान थी। लोग घर पर रह रहे थे और बीमारी ने उन्हें स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। हमने देखा कि अधिक लोग बाहर वर्क आउट कर रहे हैं और हमारे उत्पादों की मांग भी बढ़ी है।”